रविवार, 10 जून 2012

मेरे कॉलेज मित्रों को समर्पित एक पोस्ट


यादों की पोटली समेत रहा था ,
सोचा आप को भी अतीत की खुशबू से महकाता चलूँ |

बीत गए साल वो रंगीन
अब शुरुआत हुई है जिन्दगी की संगीन |

बरसों से बुने सपनों को यथार्थ के धरातल पर

 उतारने का समय आ गया |
ऐ दोस्त , अब तेरे और मेरे बिछड़ने का समय आ गया |

मंजिल की भाग - दौड़ में मशरूफ जरुर हो जाना पर मगरूर नहीं ,

कामयाबी के सफ़र में मशहूर हो जाना पर मजबूर नहीं |

जो कभी याद मेरी आये ,

चले आना ख्वाबों  के अंजुमन में
यादो के शिकारे पर बैठ कर ,
दुःख को सुख में घोलकर पियेंगे ,
जिन्दगी के वो बीते पल फिर दिल खोलकर जियेंगे |

~"नीरज"~

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