शनिवार, 2 जून 2012

जिन्दगी की रेल 


अरमान नगर से चलकर हकीकत शहर को जाने
वाली इस पसेंज़र ने 

जीवन के मानव रही फाटक पर बहुत से
ख्वाबो को कुचला है 

जब भी यह गाडी आकांक्षाओ के विपरीत दिशा में चली है
बहुत से सपनो की मौत हुई है और 
बहुत से अरमान घायल हुए है

यथार्थ के धरातल पर जब यह ट्रेन रुकी है तो संभावनाए,
अपेक्षाओ उतरी और वास्तविकता ने गाडी में कदम रखे |

~"नीरज"~
 

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