जिन्दगी की रेल
अरमान नगर से चलकर हकीकत शहर को जाने
वाली इस पसेंज़र ने
वाली इस पसेंज़र ने
जीवन के मानव रही फाटक पर बहुत से
ख्वाबो को कुचला है
जब भी यह गाडी आकांक्षाओ के विपरीत दिशा में चली है
बहुत से सपनो की मौत हुई है और
बहुत से अरमान घायल हुए है
यथार्थ के धरातल पर जब यह ट्रेन रुकी है तो संभावनाए,
अपेक्षाओ उतरी और वास्तविकता ने गाडी में कदम रखे |
~"नीरज"~
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें