शनिवार, 30 जून 2012



कागज़ और कलम थाम तो लिए है 
देखो महफ़िल कहाँ तक चलती है ।

तस्सव्वुर के बादबाँ बाँध तो लिए है 
देखो मंजिल कहाँ पर मिलती है ।

~"नीरज"~

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