गुरुवार, 31 मई 2012

जिन्दगी की कहानी



 

गर्मी, सर्दी , बरसात सब एक कहानी है
हर सांस में चलना ही जिन्दगी की रवानी है  |

रुकना, थकना, थमना सब बाते पुरानी है

चदते सूरज की सूरत ही सबसे सुहानी है |

मेहनत के पेड़ पर शहद सुना बुजुर्गो की जुबानी है

कोशिशों के दायरे में आज वही बात दोहरानी है |

पा ना सके लक्ष्य तो बेकार ये जवानी है

चल के देख दो कदम मंजिल तो तेरी दीवानी है |

~"नीरज"~

मंगलवार, 29 मई 2012

फेसबुक


(मेरी लम्बी कविता "facebook" के कुछ सम्पादित अंश )

हर चेहरे पर चर्चे हैं "facebook" के

दोस्त बनाते है हम देश दूर के
फोटो चिपकाते है "close look " के
दोस्त चिढाते भी है Poke Poke के

username के साथ जब password कोई लिखता है

और login के button पर जैसे ही चटखा (click) लगता है
एकाएक दिल धडकता है |

कुछ notification होंगे जिन्हें पढ़कर दिलो को कुछ satisfaction मिलता है

कुछ अनजाने चेहरे दोस्ती का हाथ लिए खड़े होते है
कुछ सन्देश, reply के इंतजार में पड़े होते है |

बेहतरीन अल्फाजों से, ताज़ातरीन समाचारों से ,

खुबसूरत तस्वीरों से दीवार सजी होती है
बस जल्दी से like करने के इंतज़ार में खड़ी होती है |

सुख से दुःख तक सब छपता है इसकी दीवारों पर

हर कोई टिप्पणी करता है एक दुसरे के विचारो पर

पुरानो के बाद कुछ नये भी यहाँ रोज़ आते है

प्रोफाइल बनाते है, द्रश्य चित्र HD लगते है
smiley रूप में मुस्कुराते है
शिक्षा, दीक्षा सारी बताते है
पर झूठ की बीमारी को यहाँ भी साथ ले आते है |

रोज़ नये चित्र सजाये जाते है

tag लगाकर दोस्त उनपर चिपकाये जाते है
फिर झूठी ही सही तारीफों का सिलसिला चलता है
कुछ आँख मिचकाए, कुछ जीभ चिढाये जाते है |

अरे ! ये तो मेरे साथ दसवी में था

अरे ! ये तो मेरे साथ बस में था
अरे ! ये तो वही नुक्कड़ वाला नाई है
अरे ! ये तो मेरे फुंफाजी का भाई है

ऐसे पहचान निकलते है जैसे जिगर से जान निकलते है

फिर सबको मैत्री का पैगाम भेजा जाता है
जुड़ते ही दोस्ती का पहला सलाम भेजा जाता है |

झूठी तारीफे पाकर ऐसे खुश होते है की भारत रत्न मिला हो

copy paste कर के ऐसे इतराते है जैसे इनका ही यत्न लगा हो

अब समयरेखा (timeline) आ गई है जो सबके मन को भा गई है

मार्क जुकरबर्ग की शादी तो पुरे वातावरण में छा गई है
यह तो समझदार था इसकी मति क्या घास चरने गई है

और सुनो ~

जैसे ही female लिखा दिखता है
झट से add friend पर चटखा लगता है
पुरुष बेचारे मेरे जैसे
यहाँ भी मुफलिसी का सामना करना पड़ता है |

कुछ हरी बत्ती जगा कर अपने होने का अहसास करवाते है

और कुछ offline mode में यहाँ भी दुरी चाहते है
कुछ ने आमिर की फोटो यूँ लगाई है
जैसे कोई मेरे दूर के रिश्ते का भाई है
कुछ ये बताते है की मैं भी हूँ
कुछ ये जताते है की मैं ही हूँ |

जो शामे हरे पत्तो की सोहबत में कटा करती थी (we used to play in gardens.)

वो अब हरी बत्ती की ग़ुरबत में गुजर जाती है |

शुक्र है ! मार्क जुकरबर्ग को आरक्षण का ख्याल नहीं आया

इसीलिए यहाँ दोस्तों की list में आंकड़ों का मायाजाल नहीं लाया
वरना OBC को 5 extra friend मिलते
और GENERAL को दिन में 2 बार ही login के मोके मिलते |

 


~"नीरज"~
 
( यह पुर्णतः मेरी मौलिक रचना है | सर्वाधिकार सुरक्षित )

रविवार, 27 मई 2012

मुस्कान :)


मन में पैदा हुई 
होठो पर पली - बढ़ी और
 दिल में गहरी उतर गई ।

जिन आँखों ने देखा उनको सहला गई 
जिस आँगन से गुजरी उसको महका गई ।

बच्चो के किलकारी से लेकर 
बूढ़ों के ठहाके तक पहुँच है मेरी ।

दिल  से  होठो का राब्ता बनाती हूँ 
थके चहरो को शगुफ्ता बनाती हूँ ।

मुस्कान - बस छोटी सी उम्र है मेरी 
जब तक मनहूस गुस्से के हत्थे ना चढ़ी ।

~"नीरज"~

शनिवार, 26 मई 2012

जिन्दगी के सफ़र में ....!

 

जिन्दगी के सफ़र में जब तु  चला है
तो याद रखना .............................


राहें लम्बी हैं,
कुछ मील पथरीली तो कुछ मील
जहरीली हैं
सफ़र में तुझे रुसवाई मिलेगी
विफलताओ की बड़ी सी खाई मिलेगी

हर मोड़ पर नाकामयाबी की सराय मिलेगी

हर जोड़  के तोड़ पर वकील रायचंद की राय मिलेगी

बारिस, आंधी, तूफान हर रुत के सामान मिलेंगे

जायेगा जिस दिशा में बहुत से उलटे पाँव मिलेंगे

महफ़िल, महल , मकान सब कुछ आलिशान मिलेंगे

रुकना नहीं की तुझे हार के बहुत से सामान मिलेंगे

सफ़र लम्बा है, बढ़ते कदमो पर अपेक्षा के द्वार मिलेंगे

थके, सुस्त  कदमो को विफलताओ के गुब्बार मिलेंगे
चुस्त, चालाक  इरादों को सफलताओ के अम्बार मिलेंगे


ऐ मेरे यार, तुझे हर बार, बहुत से यार मिलेंगे

कुछ झूठ से लबालब, निराशा के शिकार मिलेंगे
कुछ सच के प्रहरी पहरेदार मिलेंगे

ठहरना नहीं किसी के कहने पर, ऐसे भी तुझे यार मिलेंगे
चलना जिन्दगी का सबब है, चलने पर ही जीत के दीदार मिलेंगे 
रुके, ठहरे, सहमे मुसाफिर को तो बस श्मशान  के  द्वार मिलेंगे


~"नीरज"~


  सोच कहाँ से लाऊं !



कागज़, कलम , इरादा सब है मेरे पास
पर वो शायर वाली सोच कहाँ से लाऊं |


शब्द, सार्थकता, साहित्य सब है मेरे पास
पर नज़्म का आगाज़ कहाँ से लाऊं |

जज्बा , जज़्बात, जोश सब है मेरे पास
पर तस्सवुर की परवाज़ कहाँ से लाऊं |

उनवान, उपमा, अलंकार सब है मेरे पास
पर मैं सांच की बात कहाँ से लाऊं |

~"नीरज"~